आज फिर तेरी याद
जीने नहीं दे रही है! क्यों ना आज
आग लगा दू खुद को!!
फूँक मार और बुझा दे मुझे, तेरी मुहब्बत
मे जलता हुआ बस चिराग ही तो हूँ मै !
उनको मालूम है कि उनके बिना हम
टूट जाते हैं, फिर क्यूँ वो आजमाते हैं
हमसेे बिछड़-बिछड़ कर।
कब्र की मिटटी हाथ में लिए सोच रहा हूँ!
कि लोग मरते है, तो गुरूर कहा जाता है!!
तेरी मजबूरी भी होगी
चलो मान लिया लेकिन तेरा वादा
भी था मेरे साथ जीने का..
खुश हूँ कि मुझको
जला के तुम हँसे तो सही,
मेरे न सही…
किसी के दिल में बसे तो सही।
Uss din uske hothon par kisi aur ki khushi dekhkar mujhe pta
chala mujhe ek tarfa pyaar hai huya
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