चंद तस्वीर-ऐ-बुताँ , चंद हसीनों के खतूत . बाद मरने के मेरे घर
से यह सामान निकला
तोड़ा कुछ इस अदा से तालुक़ उस ने “ग़ालिब” के सारी उम्र अपना
क़सूर ढूँढ़ते रहे
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चंद तस्वीर-ऐ-बुताँ , चंद हसीनों के खतूत . बाद मरने के मेरे घर
से यह सामान निकला
तोड़ा कुछ इस अदा से तालुक़ उस ने “ग़ालिब” के सारी उम्र अपना
क़सूर ढूँढ़ते रहे
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