ना ज़रूरत उसे पूजा और पाठकी,
जिसने सेवा करी अपनी माँ-बाप की।
घर की इस बार मुकमल में तलाशी लूँगा,
गम छुपा कर मेरे माँ-बाप कहाँ रखते थे।
जीवन में दो बार ही माँ बाप रोते हैं,
जब बेटी घर छोड़े, तथा बेटा मुह मोड़े।
माता पिता के बिना दुनिया की हर चीज कोरी हैं,
दुनिया का सबसे सुंदर संगीत माँ की लोरी हैं।
चाहे लाख करो तुम पूजा और तीर्थ करो हजार,
अगर माँ बाप को ठुकराया तो सब ही हैं बेकार।
जिस के होने से मैं खुदको मुक्कम्मल मानता हूँ,
मेरे रब के बाद मैं बस अपने माँ-बाप को जानता हूँ।
मेरी दुनिया में इतनी जो शौहरत हैं,
मेरी माता पिता की बदौलत हैं।
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